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अंतर्राष्ट्रीय संबंध


भारत के विदेश संबंधों को मिला और विस्तार


भारत की विदेश नीति ऐसी है जिसमें वैश्विक संतुलन कायम रखते हुए सभी देशों से बेहतर संबंध बनाने पर ज़ोर दिया जाता है। भारत ने अपनी डाइनैमिक विदेश नीति के तहत हाल ही में विश्व के कई देशों के साथ समझौतों और सहमति-पत्रों को मंज़ूरी दी है। ये समझौते वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को और विस्तार देने का काम करेंगे।

1. भारत-नॉर्वे महासागर वार्ता समझौता
इस समझौते से महासागरीय अर्थव्‍यवस्‍था के विकास से संबंधित परस्‍पर हित के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
महासागरीय अर्थव्‍यवस्‍था के क्षेत्र में नॉर्वे विश्‍वभर में अग्रणी है और इसके पास मछली-पालन, हाइड्रोकार्बन, अक्षय ऊर्जा, समुद्री संसाधनों के समुचित दोहन और समुद्री परिवहन जैसे क्षेत्रों में अत्‍याधुनिक प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता है।
इस समझौते से संयुक्‍त कार्यबल (Joint Task Force) कार्यक्रम के तहत सभी हितधारकों के परस्‍पर लाभ के लिये, हाइड्रोकार्बंस और अन्‍य समुद्री संसाधनों के दोहन में मदद मिलेगी।
बंदरगाहों के प्रबंधन और पर्यटन के विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग के लिये अवसर तैयार करने में भी आसानी रहेगी।
मछली-पालन और एक्‍वाकल्‍चर के क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों को शामिल करके खाद्य सुरक्षा के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में इस समझौते का योगदान होगा।
इससे दोनों देशों के बीच लाभदायक उद्यमों से जुड़े कारोबारों के लिये एक मंच उपलब्‍ध होगा।
इसके परिणामस्‍वरूप वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्त्ता आर्कटिक क्षेत्र के संदर्भ में महासागरीय पारितंत्र के अध्‍ययन में भी सहयोग कर सकते हैं।
2. भारत-फिनलैंड जैव प्रौद्योगिकी समझौता
यह समझौता ज्ञापन महत्त्वाकांक्षी उद्योग-जन्य नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं को अनुसंधान विकास और नवाचार के व्यापक कार्य क्षेत्र में लागू करने और वित्तपोषण के लिये जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आपसी हितों के आधार पर सहयोग करने के लिये किया गया है।
यह समझौता दीर्घकालीन अनुसंधान, विकास और नवाचार सहयोग करने तथा भारतीय और फिनलैंड के संगठनों के मध्य सहयोग हेतु नेटवर्क स्थापित करने और उसे मज़बूत बनाने में सहायक होगा।
उच्च अंतर्राष्ट्रीय मानकों की ज़रूरत आधारित महत्त्वाकांक्षी संयुक्त परियोजनाओं के वित्तपोषण द्वारा दोनों देशों का उद्देश्य विश्व श्रेणी के नवाचारी लाभों को दोनों देशों तक पहुँचाने में सहायता करना है।
इससे दोनों देशों के वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्त्ताओं और उद्योग के मध्य ज्ञान को साझा करने और ज्ञान का सृजन करने में मदद मिलेगी।
आपसी हितों के आधार पर निम्नलिखित अनुसंधान क्षेत्रों की पहचान की गई है:

मिशन नवाचार- बायोफ्यूचर मंच, जैव ईंधन, जैव ऊर्जा, बायोमास आधारित उत्पाद
जैव प्रौद्योगिकी के पर्यावरणीय और ऊर्जा अनुप्रयोग
स्टार्ट-अप और प्रगतिशील कम्पनियों का व्यापार विकास
जीव विज्ञान में शिक्षा प्रौद्योगिकियां और खेल
जीव विज्ञान उद्योग के अन्य क्षेत्र
इस समझौते में आपसी हितों के आधार पर फिनलैंड और भारतीय संगठनों के बीच दीर्घकालीन अनुसंधान और विकास तथा नवाचार सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमति दी गई है।

3. भारत-इंडोनेशिया बाह्य अंतरिक्ष अन्वेषण और उपयोग समझौता
यह रूपरेखा समझौता अंतरिक्ष विज्ञान, बाह्य अंतरिक्ष के अन्वेषण, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग, पृथ्वी के सुदूर संवेदीकरण, इंडोनेशिया के बियाक (Biak) में बनाए गए समेकित टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड (TTC) केंद्र के परिचालन और रखरखाव में मददगार होगा।
भारतीय ग्राउंड स्टेशन की होस्टिंग, IRAMS स्टेशन की होस्टिंग, LAPAN निर्मित उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिये भी इससे सहायता मिलेगी।
ग्राउंड स्टेशनों के परस्पर उपयोग इत्यादि जैसे संभावित दिलचस्पी वाले क्षेत्रों में सहयोग करने में समर्थ बनाएगा।
यह समझौता इंडोनेशिया में इसरो का TTC केंद्र और IRAMS आईआरएमएस केंद्र की स्थापना करने में सहायक होगा।
इस समझौते से विशिष्ट कार्यकलापों के लिये प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन को अंतिम रूप दिया जा सकेगा। इस समझौते के लक्ष्यों को अर्जित करने के उद्देश्‍य से एक संयुक्त कार्य बल का गठन किया जाएगा।
इस कार्यबल में अंतरिक्ष विभाग/इसरो, इंडोनेशियन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस के सदस्य शामिल होंगे। इस समझौते से भारत और इंडोनेशिया के बीच सहयोग और सुदृढ़ होगा।
गौरतलब है कि भारत और इंडोनेशिया पिछले दो दशकों से भी अधिक समय से अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं। इसरो ने अपने प्रक्षेपण यान और उपग्रह मिशन के लिये टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड (TTC) को समर्थन देने के लिये इंडोनेशिया के बियाक में ग्राउंड स्टेशन की स्थापना की है। वर्तमान में यह सहयोग 1997 एवं 2002 में हस्ताक्षरित एजेंसी स्तर (इसरो-इंडोनेशियन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस-LAPAN) के समझौतों के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है।
1997 के समझौता ज्ञापन के अनुसार, परिचालन, रखरखाव एवं उपयोग के अधिकार को बरकरार रखते हुए उपकरण के टाइटल को 5 वर्षों के बाद LAPAN को सुपुर्द किया जाना था। इसके मद्देनज़र सरकार के स्तर पर सहयोग को बढ़ाते हुए इसरो एवं LAPAN ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये बाह्य अंतरिक्ष के अन्वेषण और उपयोग में सहयोग हेतु यह समझौता किया।
4. अफ्रीका में विकास संबंधी भारत-UAE सहयोग समझौता
इस MoU में दोनों देशों के बीच सहयोग की रूपरेखा तय करने का उल्‍लेख किया गया है, ताकि अफ्रीका में विकास साझेदारी परियोजनाओं और कार्यक्रमों को कार्यान्वित किया जा सके।
इस प्रस्‍ताव से भारत और अफ्रीकी देशों के बीच राजनीतिक एवं आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही व्‍यापक सामरिक हितों की पूर्ति होगी।
इस MoU पर अबू धाबी में पिछले वर्ष विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके UAE समकक्ष, शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान ने आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिये द्विपक्षीय संयुक्त आयोग के 12वें सत्र में हस्ताक्षर

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