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राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की जानकारी

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक एक ऐसा स्मारक है, जोकि अपने सशस्त्र बलों को सम्मानित करने के लिए नई दिल्ली के इंडिया गेट के पास के क्षेत्र में बनाया गया है. आप सभी यह तो जानते हैं, कि इंदिरा गांधी जी के कार्यकाल में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए इंडिया गेट के पास अमर ज्योति जलाई गई थी, जोकि 24 घंटे जलती रहती है. और अब इंडिया गेट के पास ही उन शहीदों के सम्मान में इस स्मारक की रचना की गई है. फरवरी 2019 में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया है. इस स्मारक की विशेषताओं और उसके बारे में विस्तार से पूरी जानकारी हमारे इस लेख के माध्यम से प्राप्त करें.

क्र. म. (s. No.)जानकारी बिंदु (Information Points)जानकारी (Information)
1.स्मारक का नाम (Memorial Name)राष्ट्रीय युद्ध स्मारक
2.स्मारक के उद्घाटन की तारीख (Memorial Inaugration Date)25 फरवरी, 2019
3.स्मारक का उद्घाटन (Memorial Inaugrated By)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा
4.स्मारक निर्माण का उद्देश्य (Memorial Construction Objective)देश की आजादी के बाद शहीद हुए सैनिकों को सम्मानित करना
5.कुल शहीदों के नाम (Total Martyrs Name)25,942 शहीदों
6.स्मारक स्थान (Memorial Location)इंडिया गेट सर्किल, नई दिल्ली, भारत
7.आर्किटेक्ट (Architect)योगेश चंद्रहासन, वीबी डिज़ाइन लैब, चेन्नई
8.कुल खर्च (Total Cost)176 करोड़ रूपये
9.कुल क्षेत्र (Total Area)40 एकड़
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का इतिहास (History of National War Memorial)



राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के इतिहास को निम्न वर्षों के आधार पर समझा जा सकता है –
  • वर्ष 1960 में :- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के बारे में पहली बात सन 1960 में शुरू हुई थी, जब हमारे देश के सशस्त्र बलों ने सरकार से एक युद्ध में अपने प्राणों की आहूति देने वाले सैनिकों की स्मृति के लिए स्मारक बनाने का अनुरोध किया था. हालाँकि उस दौरान इस प्रोजेक्ट को गंभीरता से नहीं लिया गया था.
  • वर्ष 2006 में :- फिर वर्ष 2006 में लगातार मांग के बाद यूपीए सरकार ने सशस्त्र बलों की मांगों पर विचार करने एवं उसकी जाँच करने के लिए एक समिति का गठन किया, जिसके अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी जी थे. सन 2006 में रक्षा मंत्रालय ने यह निर्णय लिया था, कि युद्ध स्मारक को इंडिया गेट के आसपास स्थापित किया जाना चाहिए. लेकिन शहरी विकास मंत्रालय ने इस क्षेत्र को विरासत का क्षेत्र बोलते हुए इसे अस्वीकार कर दिया.
  • वर्ष 2012 में :- सन 1962 में हुए युद्ध के दौरान मारे गये सैनिकों के 50 साल पूरे होने पर अक्टूबर 2012 में यूपीए सरकार ने भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा लम्बे समय से की जा रही मांग को मान लिया और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण की अनुमति दे दी. हालाँकि इस निर्णय का उस दौरान काफी विरोध भी हुआ था.
  • वर्ष 2015 में :- सन 2014 में लोकसभा चुनावों के बाद नरेंद्र मोदी जी का कार्यकाल शुरू हुआ. उन्होंने सन 2015 में इंडिया गेट के पास स्मारक और संग्राहलय के कंस्ट्रक्शन को शुरू करने की अनुमति दे दी, और साथ ही उन्होंने कई युद्धों के दौरान शहीद हुए सैनिकों के बलिदान का सम्मान भी किया.

  • सन 2016 में :- इस साल इस युद्ध स्मारक एवं युद्ध संग्रहालय की डिज़ाइन के लिए, एक विश्व स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित की गई थी, जोकि MyGov.in पोर्टल के माध्यम से शुरू की गई थी.
  • सन 2017 में :- इस प्रतियोगिता का परिणाम सन 2017 में आया. जिसमें मुंबई के एक स्टूडियो एसपी प्लस ने इस युद्ध संग्रहाल के लिए डिज़ाइन में जीत हासिल की थी, जबकि चेन्नई स्थित वेब डिज़ाइन लैब के डिज़ाइन को युद्ध स्मारक के लिए विजेता घोषित किया गया था. डिज़ाइन फाइनल होने के बाद इसी साल ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो गया.
इस तरह से इस युद्ध स्मारक का इतिहास बहुत साल पुराना है, जिसका निर्माण कार्य अब जाकर पूरा हुआ है.
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन समारोह (National War Memorial Inaugration Program)


सन 2018 में, इस स्मारक का उद्घाटन किया जाना था, किन्तु तब तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ था. जनवरी सन 2019 में इसका निर्माण कार्य पूरा हो गया, किन्तु अभी युद्ध संग्रहालय का कार्य पूरा नहीं हुआ है. फिर भी 25 फरवरी 2019 को इस स्मारक का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इसका उद्घाटन किया. इस समारोह में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और वायुसेना, जल सेना एवं थल सेना के प्रमुख भी सम्मिलित थे. इस समारोह के दौरान मोदी जी ने भारत के राष्ट्रीय पुरस्कार में सर्वोच्च बहादुरी पुरस्कार परमवीर चक्र पुरस्कारों के लिए परिजनों से मुलाकात भी की.
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की विशेषताएं (Specification of The National War Memorial)
  • इंडिया गेट के पास बनाया गया, यह स्मारक जिसे अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता है, उन सैनिकों को श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने सन 1962 के भारत चीन युद्ध, सन1947, 1965, 1971 के भारत पाक युद्ध और सन 1999 का कारगिल संघर्ष एवं श्रीलंका में भारत के शांति सेना ऑपरेशन में अपने प्राणों का बलिदान दिया था.
  • इस स्मारक में एक स्मारक स्तंभ बनाया गया है, जिसमें अनंत लौ जल रही है. यह लौ ठीक उसी तरह से जलेगी, जिस तरह से सन 1971 से इंडिया गेट के पास अमर जवान ज्योति जलाई जा रही है, यानि यह अनंत लौ 24 घंटे जलती ही रहेगी. जोकि यह दर्शायेगी कि सैनिकों के बलिदान को भारत के नागरिकों द्वारा हमेशा याद किया जायेगा.
  • इस स्मारक स्तम्भ की ऊंचाई 15.5 मीटर है, जोकि स्मारक के सर्किल में प्रवेश करने से पहले ही दूर से प्रदर्शित हो जाता है.
  • इस स्मारक को प्राचीन भारतीय युद्ध ‘चक्रव्यू’ संरचना की तरह 4 सर्किल के रूप में बनाया गया है, ये चारों चक्र सशस्त्र बल के विभिन्न मूल्यों को दर्शाते हैं. इसके पहले चक्र को अमर चक्र कहा जाता है.
  • इसे घेरता हुआ दूसरा चक्र बनाया गया है, जिसे वीरता चक्र कहा जाता है. यह विभिन्न युद्ध क्रियाओं का चित्रण करते हुए 6 कांस्य मुरल्स चित्रों के साथ बनाया गया है. प्रत्येक मुरल का वजन 600 से 1000 किलोग्राम के बीच का है. यह भी कहा जा सकता है, इस चक्र में भारत के 6 महत्वपूर्ण युद्ध के बारे में जानकारी दी गई है.
  • इसके बाद तीसरा चक्र त्याग चक्र बनाया गया है, जोकि पूरी तरह से ग्रेनाइट ईंटों की 2 मीटर लम्बी ऐसी 16 दीवारों से बना हुआ है. प्रत्येक ईंट में स्वतंत्रता के बाद से अब तक जितने भी जवान शहीद हुए हैं उनके नाम लिखे गये हैं. वर्तमान में इन दीवारों में 25,942 शहीदों के नाम शामिल हैं. हालाँकि इसमें और नाम भी जोड़े जा सकते हैं.
  • इसके बाद इसमें अंतिम चक्र रक्षा चक्र बनाया गया है, जोकि इन तीनों चक्रों को घेरता है. इस चक्र में 600 से अधिक पेड़ लगाये गये हैं. जोकि एक दीवार की तरह प्रदर्शित हो रहे हैं. ये पेड़ों की दीवार देश की रक्षा करने वाले सैनिकों का प्रतिनिधित्व कर रही है.
ब्रिटिशर द्वारा इंडिया गेट बनाया गया (India Gate is Made By Britisher, History)
भारत का सबसे ऐतिहासिक स्मारक इंडिया गेट हैं, जोकि देश की राजधानी के बिलकुल केंद्र में स्थित है. इसका निर्माण सन 1921 में ब्रिटिश सैनिक एडविन लुटयेंस द्वारा शुरू किया गया था. जिसकी आधारशिला 10 फरवरी 1921 को रखी गई. यह प्रथम विश्व युद्धएवं तीसरे एंग्लो – अफगान युद्ध में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए लड़ते हुए मारे गए 82,000 भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए ब्रिटिशर्स द्वारा बनाया गया था. इण्डिया गेट का निर्माण 10 सालों में पूरा हुआ, और 12 फरवरी सन 1931 में इसका उद्घाटन किया गया.
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की खास बातें (National War Mamorial interesting Facts)
  • यहाँ शहीदों के नाम, मुरल चित्र के साथ ही साथ परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले शहीदों की मूर्तियाँ भी स्थापित की गई है.
  • इस ऐतिहासिक स्मारक के चारों ओर आर्टिफीसियल लाइटिंग लगाई गई है, रात के समय यह बहुत ही अद्भुत प्रदर्शित होती है. इसके साथ ही यहाँ वर्किंग प्लाज़ा भी है.
  • इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लोगों को जाने के लिए किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं देना होगा. यह पूरी तरह से निशुल्क है.
  • इस युद्ध स्मारक में सप्ताह के किसी भी दिन प्रवेश किया जा सकता है. यह सप्ताह के सातों दिन खुला है. इसका खुले रहने का समय मार्च से अक्टूबर माह में सुबह 9 बजे से शाम 7:30 बजे तक का है. जबकि नवम्बर से मार्च में यह सुबह 9 बजे से शाम 6:30 तक बस खुला रहेगा.
  • इस स्मारक के पास में एक प्रिंसेस पार्क क्षेत्र में एक युद्ध संग्रहालय का भी निर्माण किया जा रहा है. यह युद्ध संग्रहालय, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ एक मेट्रो द्वारा जुड़ा होगा. इस युद्ध स्मारक एवं युद्ध संग्रहालय को मिला कर कुल लागत 500 करोड़ रूपये व्यय की गई है.
  • इस स्मारक एवं संग्रहालय की डिज़ाइन के लिए आयोजित की गई प्रतियोगिता में युद्ध स्मारक के लिए कुल 427 प्रस्तुतियां प्राप्त की गई थी, जबकि युद्ध संग्रहालय के लिए 268 प्रस्तुतियां दी गई.
  • इस स्मारक में हर रोज शाम को सैन्य बैंड के साथ सभी शहीदों को सलामी देने का निश्चय किया गया है, जिसे रिट्रीट सेरेमनी कहा जाता है. और साथ ही सप्ताह के अंतिम दिन यानि रविवार को चेंज ऑफ़ गार्ड सेरेमनी भी दिखाई जाएगी.
पास में स्थित अन्य आकर्षक पर्यटन स्थल (Nearby Other Tourist Attraction)
  • इंडिया गेट :- यह भारत का सबसे प्रसिद्ध युद्ध स्मारक है, और इसे भी भारतीय शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाया गया था. जोकि एक बहुत ही ऐतिहासिक व दिल्ली का पर्यटन स्थल है.
  • राष्ट्रपति भवन :- अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थल राष्ट्रपति भवन है, जोकि इंडिया गेट से 2 किलोमीटर की दूरी पर है. यहाँ आप विशेष परमिट के साथ भवनों के अंदर की यात्रा भी कर सकते हैं.
  • राजपथ :- राजपथ को शुरुआत में किंग्सवे के रूप में जाना जाता था, यह इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन के बीच का औपचारिक मुख्य मार्ग है. इसी मार्ग पर गणतंत्र दिवस की परेड होती है.
  • हुमायूँ का मकबरा :- मुग़ल शासक हुमायूँ की पत्नी बेया बेगम ने उनकी याद में यह मकबरा बनवाया था. जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल एवं स्मारक कहा जाता है.
  • महाराजा अग्रसेन की बावली :- महाराजा अग्रसेन की बावली भी इस स्मारक के पास में स्थित अन्य पर्यटन स्थल है, जोकि कई बॉलीवुड फिल्मों का हिस्सा होने के बाद लोकप्रिय बना है. इसकी उत्पत्ति और शक्तियों के बारे में कई असभ्य कहानियाँ है, जिसे केवल यहाँ जाकर सत्यापित किया जा सकता है.
इस तरह से यह स्मारक शहीदों द्वारा दी गई कुर्बानियों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया है, जोकि हर एक देश वासियों के लिए गर्व की बात है.

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