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शिक्षा में प्रणालीगत परिवर्तन लाने के लिए आशय पत्र पर हसताक्षर

शिक्षा में प्रणालीगत परिवर्तन लाने के लिए आशय पत्र पर हसताक्षर


हाल ही में नीति आयोग और माइकल एंड सुसान डेल फाउंडेशन (माइकल एंड सुसान डेल फाउंडेशन-एमएसडीएफ) ने एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए।

उद्देश्य

नीति आयोग और माइकल एंड सुसान डेल फाउंडेशन द्वारा इस आशय पत्र पर हस्ताक्षर करने का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राज्य सरकारों के सामूहिक अनुभव के आधार पर शिक्षा के क्षेत्र में प्रणालीगत बदलाव लाना है।
महत्वाकांक्षी बिंदु

इस नवीनतम भागीदारी के तहत नीति आयोग और सुसान डेल फाउंडेशन विभिन्द राज्य सरकारों द्वारा किए गए उन सुधारों का मूल्यांकन (प्रलेखन) करेंगे, जिन्हें शिक्षा में प्रणालीगत सुधारों की शुरूआत हुई है और पिछले वर्षों के दौरान इन सुधारों से शिक्षा के परिणामों में सुधार आना शुरू हुआ। है।
समझौते के तहत राज्य के प्रमुखों, सलाहकारों, अनुसंधान एजेंसियों और शिक्षकों का एक संविदा समूह राजों से शिक्षा पर आधारित परिवर्तन के सिद्धांत को विकसित करने में मिलकर कार्य करेगा और शिक्षा में प्रणालीगत सुधार के प्रभाव के मौल्यांकन का अधिनयन तीसरे पक्ष द्वारा बना देगा।
नीति आयोग के अन्य प्रयास

नीती आयोग को साक्ष्‍य आधारित नीति में सुधार और ज्ञान निवेश के माध्‍यम से सहयो‍गी और सामाजिक संस्‍था संघवाद को बढ़ावा देने के मुख्‍य अधिकार के साथ स्‍थापित किया गया था। अपनी स्थापितापना से ही नीति आयोग ने सतत् शिक्षा प्रणाली को स्थापित करने के लिए शिक्षा परिणामों को एक प्रमुख केंद्रित क्षेत्र के रूप में महत्वाकांक्षी किया है।
इसके नतीजों के शैक्षिक नतीजे और शिक्षा प्रमाणकों को अधिक महत्त्व देते हुए राजों और केंद्रशासित प्रदेशों को उचित शिक्षा देने के लिए दर्शकर्णी शिक्षा विभाग सूचकांक (स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक-एसईक्यूआई) विकसित किया गया है।
नीति आयोग मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा में प्रणालीगत बदलाव लाने के लिए शिक्षा में मानव पूंजी परिवर्तन के लिए सतत् कार्य पुरस्कार (शिक्षा में मानव पूंजी बदलने के लिए सतत कार्रवाई: SATH-E) को भी लागू कर रहा है। शिक्षा, आकांक्षी ज़िला कार्यक्रमों का भी एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जिसमें भारत के सबसे अधिक वंचित ज़िलों में शिक्षा की स्थिति में सुधार करना शामिल है।
निष्कर्ष

विभिन्‍न राज राजियों में शिक्षा में हुए प्रणालीगत सुधारों के माध्‍यम से पूरे देश के लगभग 30 मिलियन लोगों को मैकेनिक पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ा है। एक शरत पर शिक्षा परिणामों में सुधार लाने के लिए समन्वयित और सतत् प्रयासों के साथ-साथ शैक्षिक और प्रशासन दोनों सुधारों की आवश्यकता है।
नीति आयोग
1 जनवरी, 2015 को थिंक टैंक के रूप में अस्तित्व में आया नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया-एनआईटीआई) का मुख्य कार्य न्यू इंडिया के निर्माण का विज़न और इसके लिए रणनीतिक लक्ष्य बनाना और कार्ययोजनाएँ तैयार करना है।
केंद्र सरकार की नीति निर्धारण संस्था के रूप में नीति आयोग देशभर से सुझाव आमंत्रित करके जन-भागीदारी और राज्य सरकारों की भागीदारी से नीतियाँ बनाने का एक सिद्धांत है।
15 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री ने योजना आयोग को स्पष्ट करने की घोषणा की थी और उसके बाद योजना आयोग के स्पष्ट होने के साथ ही पंचवर्षीय योजना का युग भी समाप्त हो गया है।
नीति आयोग की स्थापना के बाद योजना के तहत व्यय और गैर-योजनांतर्गत व्यय का अंतर समाप्त हो गया है। अब केंद्र सरकार से राज्य सरकारों को धनराशि का हस्तांतरण केवल केंद्रीय वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर होता है।

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