Skip to main content

कनिष्क

कनिष्क (शासनकाल- 127 ई. से 140-51 ई.) कुषाण वंश का प्रमुख सम्राट् था। कनिष्क भारतीय इतिहास में अपनी विजय, धार्मिक प्रवृत्ति, साहित्य तथा कला का प्रेमी होने के नाते विशेष स्थान रखता है। यूची क़बीले ने भारत में कुषाण वंश की स्थापना की और भारत को कनिष्क जैसा महान् शासक दिया। कनिष्क को कुषाण वंश का तीसरा शासक माना जाता था किन्तु राबाटक शिलालेख के बाद यह चौथा शासक साबित होता है। संदेह नहीं कि कनिष्क कुषाण वंश का महानतम शासक था।
कनिष्क के राज्यारोहण के समय कुषाण साम्राज्य में अफ़ग़ानिस्तान, सिंध का भाग, बैक्ट्रिया एवं पार्थिया के प्रदेश सम्मिलित थे। कनिष्क ने भारत में अपना राज्य मगध तक विस्तृत कर दिया। वहाँ से वह प्रसिद्ध विद्वान् अश्वघोष को अपनी राजधानी पुरुषपुर ले गया। तिब्बत और चीन के कुछ लेखकों ने लिखा है कि उसका साकेत और पाटलिपुत्र के राजाओं से युद्ध हुआ करता था। कश्मीर को अपने राज्य में मिलाकर उसने वहाँ एक नगर बसाया जिसे ‘कनिष्कपुर’ कहते हैं। कनिष्क ने उज्जैन के क्षत्रप को हराया था और मालवा का प्रान्त प्राप्त किया था। कनिष्क का सबसे प्रसिद्ध युद्ध चीन के शासक के साथ हुआ था, पहली बार वह पराजित हुआ था लेकिन दूसरी बार उसने चीन के राजा को हरा दिया था। कनिष्क ने मध्य एशिया में काशगर, यारकंद, ख़ोतान, आदि प्रदेशों पर भी अपना आधिपत्य स्थापित किया। इस प्रकार मौर्य साम्राज्य के पश्चात् पहली बार एक विशाल साम्राज्य की स्थापना हुई, जिसमें गंगा, सिंधु और आक्सस की घाटियाँ सम्मिलित थीं।
सन् 1993 में अफ़ग़ानिस्तान के बग़लान प्रान्त में सुर्ख़ कोतल के पास स्थित रबातक नामक पुरातन स्थल पर एक शिलालेख मिला जिस पर बाख़्तरी भाषा और यूनानी लिपि में कुषाण वंश के प्रसिद्ध सम्राट कनिष्क के वंश के बारे में एक 23 पंक्तियों का लेख था। इस से कनिष्क के पूर्वजों के बारे में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी मिलती है। इसमें कनिष्क ने कहा है कि वह एक नाना नामक देवी का वंशज है और उसने अपने साम्राज्य में यूनानी भाषा को हटाकर आर्य भाषा चला दी है। उसने इसमें अपने पड़-दादा कोजोला कादफ़ीस, दादा सद्दाशकन, पिता विमा कादफ़ीस और स्वयं अपना ज़िक्र किया है।
कनिष्क की मुद्राओं में भारतीय हिन्दू, यूनानी, ईरानी और सुमेरियाई देवी देवताओं के अंकन मिले हैं, जिनसे उसकी धार्मिक सहिष्णुता का पता चलता है। उनके सिक्के में सूर्य देव बायीं और खड़े हुए दिखाई पड़ते हैं। बांए हाथ में दण्ड है जो रश्ना सें बंधा है। कमर के चारों ओर तलवार लटकी है। सूर्य ईरानी राजसी वेशभूषा में एक लम्बे कोट पहने दाड़ी वाले दिखाये गए हैं, जिसके कन्धों से ज्वालाएं निकलती हैं। वह बड़े गोलाकार जूते पहनते है। उसे प्रायः वेदी पर आहुति या बलि देते हुए दिखाया जाता है। इसी विवरण से मिलती हुई कनिष्क की एक मूर्ति काबुल संग्रहालय में संरक्षित थी, किन्तु कालांतर में उसे तालिबान ने नष्ट कर दिया।साम्राट कनिष्क को अफगानिस्तान और बौद्ध धर्म में बड़ा ही आदर और सम्मान प्राप्त है। भारत में ही कनिष्क साम्राट को सम्मान नहीं मिलता। भारत में इस्लामी मतांध हिन्दू हत्यारों को सम्मान दे कर उनकी पूजा की जाती है। दक्षिण एशिया एवं रोम के बीच भूमि पथ (रेशम मार्ग) तथा समुद्री मार्ग, दोनों पर कनिष्क ने अधिपत्य स्थापित किया था। कनिष्क वास्तव में बहुत ही धर्म सहिष्णू था। वह कलाराधाक था जिसका निदर्शन हमें उसकी मुद्राओं और शिलालेखों से पता चलता है। उसने यूनानी-बौद्ध कला के गांधार विद्यालय को भी उतना ही प्रोत्साहन दिया जितना मथुरा के हिन्दू कला विद्यालय को दिया। कनिष्क ने निजी रूप से बौद्ध तथा पारसी दोनों के ही गुण अपना लिये थे, किन्तु उसका कुछ झुकाव बौद्ध धर्म की ओर अधिक था। ये झुकाव उसके बौद्ध शिक्षाओं एवं प्रार्थना शैली के प्रति जुड़ाव कुशाण साम्राज्य के समय की विभिन्न पाठ्य सामग्री से साफ़ झलकता है।कनिष्क ने अपने काल में पेशावर में एक बौद्ध स्थूप बनाया था जो किसी अजूबे से कम नहीं है। इस स्तूप का व्यास 283 फ़ीट था और ऊँचाई 600-800 फीट था। चीनी प्रयटक ह्यू-एन स्तांग के अनुसार इस स्थूप में अनगिनत बेशकिमती हीरे और मॊती जड़े हुए थे। दक्षिणी राजस्थान में स्थित प्राचीन भिनमाल नगर में सूर्य देवता के प्रसिद्ध जगस्वामी मन्दिर का निर्माण सम्राट कनिष्क ने कराया था। मारवाड़ एवं उत्तरी गुजरात कनिष्क के साम्राज्य का हिस्सा रहे थे। भिनमाल के जगस्वामी मन्दिर के अतिरिक्त कनिष्क ने वहाँ ‘करडा’ नामक झील का निर्माण भी कराया था। भिनमाल से सात कोस पूर्व ने कनकावती नामक नगर बसाने का श्रेय भी कनिष्क को दिया जाता है। कनिष्क ने भारत में कार्तिकेय की पूजा को आरम्भ किया और उसे विशेष बढ़ावा दिया। उसने कार्तिकेय और उसके अन्य नामों-विशाख, महासेना, और स्कन्द का अंकन भी अपने सिक्कों पर करवाया। कनिष्क के बेटे सम्राट हुविष्क का चित्रण उसके सिक्को पर महासेन ‘कार्तिकेय’ के रूप में किया गया हैं। आधुनिक पंचाग में सूर्य षष्ठी एवं कार्तिकेय जयन्ती एक ही दिन पड़ती है।1864 में आर्केलोजिकल सर्वे रिपोर्ट कुषाणों की पहचान आधुनिक गुर्जरों से की है और उसने माना है कि गुर्जरों के कसाना गौत्र के लोग कुषाणों के वर्तमान प्रतिनिधि है। उसकी बात का महत्व इस बात से और बढ़ जाता है कि गुर्जरों का कसाना गोत्र क्षेत्र विस्तार एवं संख्याबल की दृष्टि से सबसे बड़ा है। कसाना गौत्र अफगानिस्तान से महाराष्ट्र तक फैला है और भारत में केवल गुर्जर जाति में मिलता है। साम्राट कनिष्क का भारत से गहरा नाता है हो सकता है की आज के गुर्जरों का पूर्वज साम्राट कनिष्क ही हो लेकिन हमें हमारी सभ्यता और धरॊहर की पहचान करनी हि नहीं आती यही हमारी दौर्भाग्य है।जिस महान साम्राट कनिष्क को भारत भूल गया उसे मुस्लिम देश अफगानिस्तान आज भी याद रखता है! वहां साम्राट कनिष्क के नाम से एक होटल भी था जिसे तालीबान ने बरबाद कर दिया। जब हॊटल के बारे में पूछा गया था तो उनका कहना था की भले ही वे आज मुसलमान हो लेकिन साम्राट कनिष्क आज भी उनके पूर्वज हैं। उनका प्रार्थना का विधी भले ही बदला हो लेकिन उनकी मूल संस्कृती नहीं बदली।अपने पूर्वजों को सम्मान देना कोई उनसे सीखे। हमारे भारत में अगर कहा जाए की कनिष्क की पूजा करनी चाहिए क्यों की वह हमारा साम्राट था तो जंग छिड जाएगा। दलाल मीडीया, लिबरल, बुद्दी जीवी, सेक्यूलर और अवार्ड वापसी गैंग चूडियां तॊड रुदाली विलाप करने लगेगें। हमारा देश अपने पूर्वजों को सम्मान देना भूल गया है या फिर ऐसे कहिए की जबरन भूल ने पर मजबूर कर दिया गया है। झूठे सेक्यूलरिम को हम पर थॊप कर एक जाती विशेष का तुष्टीकरण करना भारत की गंदी राजनीती का एक खेल रहा है जिसे आजादी के बाद से चलाया गया है। यह भारत का दौर्भाग्य है।
साम्राट कनिष्क को भारतीयों का शत शत नमन

Comments

Popular posts from this blog

करेंट अफेयर्स : टेस्ट

1 .इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: यह संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद दूसरी सबसे बड़ी अंतर-सरकारी संस्था है। भारत OIC के पर्यवेक्षक देशों में से एक है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? A केवल 1 B केवल 2 C 1 और 2 दोनों D न तो 1 और न ही 2   click here for answer 2 . प्रधानमंत्री जी-वन योजना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: इसे देश में 2G इथेनॉल क्षमता निर्मित करने हेतु एक उपकरण के रूप में लॉन्च किया जा रहा है। सेंटर फॉर हाई टेक्नोलॉजी (CHT) इस योजना के लिये कार्यान्वयन एजेंसी होगी। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? A केवल 1 B केवल 2 C 1 और 2 दोनों D न तो 1 और न ही 2     click here for answer 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10% इथेनॉल सम्मिश्रण किये जाने का लक्ष्य रखा है। तीसरी पीढ़ी के जैव ईंधन शैवाल से प्राप्त होते हैं। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? A केवल 1 B केवल...

How to prepare for IAS exam

Each year, millions of candidates participate in the UPSC Civil Services Exam. But hard work and preparation in the right direction ensure the success of this review only. It is also difficult to pass the IAS exam, but also to think smartly and have a smart strategy. Many candidates spend a lot of time preparing for this exam and still can not succeed. The main reason for this is that they only work hard, whereas, if we examine here the nature of this test, a special or "smart" job is necessary to succeed. It's smart work or just saying that strategic preparation is the mantra to get you into the list of winners with your failures. Modify the resources of your study. This is a very important part of the preparation and combination of study material, in which you do not have to study new study material or new books during the last phase of your preparation. Because it's not fair to understand and study new themes in such a short time. You may be confused and frustr...

विलुप्त हो रही गोरया

आईयूसीएन (IUCN) रेड लिस्ट (Red List) के अनुसार, वर्ष 1969 में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी की आबादी लगभग 1,260 थी और वर्तमान में देश के पाँच राज्यों में मात्र 150 सोन चिरैया हैं। हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India-WII) के ताज़ा शोध में यह बात सामने आई है। सोन चिरैया बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि एक समय सोन चिरैया भारत की राष्ट्रीय पक्षी घोषित होते-होते रह गई थी। जब भारत के ‘राष्ट्रीय पक्षी’ के नाम पर विचार किया जा रहा था, तब ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ का नाम भी प्रस्तावित किया गया था जिसका समर्थन प्रख्यात भारतीय पक्षी विज्ञानी सलीम अली ने किया था। लेकिन ‘बस्टर्ड’ शब्द के गलत उच्चारण की आशंका के कारण ‘भारतीय मोर’ को राष्ट्रीय पक्षी चुना गया था। सोन चिरैया, जिसे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (great Indian bustard) के नाम से भी जाना जाता है, आज विलुप्त होने की कगार पर है। शिकार, बिजली की लाइनों (power lines) आदि के कारण इसकी संख्या में निरंतर कमी होती जा रही है। परिचय ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ भारत और पाकिस्तान की भूमि पर पाया जाने वाला एक विशाल पक्षी है। यह विश्व ...