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हम नकारात्मक वातावरण में भी सकारात्मक कैसे रह सकते हैं

यह सत्य है कि हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही प्राप्त करते हैं । नकारात्मक सोच जहाँ हमें निराशावादिता और नाकामी की ओर ले जाती है, वहीं सकारात्मक विचार हमें सकारात्मकता और सफलता की ओर अग्रसर करते हैं। कई शोधों से भी यही बात सामने आई है कि हमारी सोच हमारी कार्यक्षमता को प्रभावित करती है। हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही कार्य करते हैं। यदि हम दिन के 24 घंटों में से दस घंटे नकारात्मक बातें करते हैं तो धीरे-धीरे हमारी सोच भी नकारात्मक होने लगती है फिर हमें दुनिया के हर इंसान में बुराई ही नजर आने लगती है। अच्छा सोचें :- यदि हम ये ठानकर चलें कि आज दिनभर हम जो भी सोचेंगे, अच्छा ही सोचेंगे तो निश्चित ही हमारा दिन अच्छा जाएगा। यही प्रयोग हम सप्ताहभर के लिए भी कर सकते हैं, उसके बाद देखिए आपके जीवन में क्या परिवर्तन आता है। कई बार हम कुछ ऐसे लोगों की संगति में फँस जाते हैं, जो हमेशा अपने दु:खों का ही रोना लेकर बैठ जाते हैं। जीवन में उन्हें खुश रहना तो आता ही नहीं है। आपके लिए अच्छा होगा कि आप ऐसे लोगों से दूर ही रहें। अच्छे काम में मन लगाएँ :- कई बार व्यक्ति का काम इतना तनावपूर्ण रहता है कि वह क्

पहला विदेशी कौन था जो भारत आया और उसके यहां आने का क्या उद्देश्य हैं ?

भारत पर आक्रमण करने वाले सबसे पहले आक्रांता थे बैक्ट्रिया के ग्रीक राजा। इन्हें भारतीय साहित्य में यवन के नाम से जाना जाता है। यवन शासकों में सबसे शक्तिशाली सिकंदर (356 ईपू) था जिसे उसके देश में अलेक्जेंडर और भारत में अलक्षेन्द्र कहा जाता था।

महाराणा प्रताप कोन है?

महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ था। महाराणा प्रताप की माता का नाम जयवंता बाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थी। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था। राणा उदयसिंह केे दूसरी रानी धीरबाई जिसे राज्य के इतिहास में रानी भटियाणी के नाम से जाना जाता है, यह अपने पुत्र कुंवर जगमाल को मेवाड़ का उत्तराधिकारी बनाना चाहती थी | प्रताप केे उत्तराधिकारी होने पर इसकेे विरोध स्वरूप जगमाल अकबर केे खेमे में चला जाता है | महाराणा प्रताप का प्रथम राज्याभिषेक मेंं 28 फरवरी, 1572 में गोगुन्दा में होता हैै, लेकिन विधि विधानस्वरूप राणा प्रताप का द्वितीय राज्याभिषेक 1572 ई. में ही कुुंभलगढ़़ दुुर्ग में हुआ, दूूूसरे राज्याभिषेक में जोधपुर का राठौड़ शासक राव चन्द्रसेेन भी उपस्थित थे |राणा प्रताप ने अपने जीवन में कुल ११ शादियाँ की थी उनके पत्नियों और उनसे प्राप्त उनके पुत्रों पुत्रियों के नाम है : महारानी अजब्धे पंवार :- अमरसिंह और भगवानदास अमरबाई राठौर :- नत्था शहमति बाई हाडा :-पुरा अलमदेबाई चौहान:- जसवंत सिंह रत्नावती बाई परमार :-माल,गज,क्लिंगु लखाबाई :- रायभान

भारत में आयकर अधिनियम किसने और कैसे लागू किया।

वर्तमान में, भारत में आयकर अधिनियम 1961 लागू है। 1956 में, सरकार ने आयकर अधिनियम लागू करने का अनुरोध किया। विधि आयोग ने 1958 में आयकर अधिनियम पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और उसी वर्ष, अध्यक्ष श्री महावीर त्यागी ने प्रत्यक्ष कर प्रशासन जांच आयोग की अध्यक्षता की।

कुब्जा कौन थी?

कुब्जा मथुरा के राजा कंस के दरबार की एक कुबड़ी दासी थी। यद्यपि वह कुबड़ी थी, लेकिन सौन्दर्य की धनी थी। वह महल में प्रतिदिन फूल, चन्दन तथा तिलक आदि ले जाने का कार्य किया करती थी। जब भगवान श्रीकृष्ण कंस वध के उद्देश्य से मथुरा आये, तब उन्होंने कुब्जा का कुबड़ापन ठीक कर दिया। कुब्जा श्रीकृष्ण से प्रेम करने लगी थी, भगवान ने उसे अपना कार्य सिद्ध हो जाने के बाद उसके घर आने का विश्वास दिलाया और उसे विदा किया। कालांतर में कृष्ण ने उद्धव के साथ कुब्जा का आतिथ्य स्वीकार किया। कुब्जा के साथ प्रेम-क्रीड़ा भी कीं। कुब्जा ने कृष्ण से वर माँगा कि वे चिरकाल तक उसके साथ वैसी ही प्रेम-क्रीड़ा करते रहें।

पिछले कुछ दशकों में पश्चिमी घाटों में क्या बदलाव हुए हैं?

वैश्विक पर्यावरण एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत के प्रतिष्ठित पश्चिमी घाटों में जैव विविधता को वन नुकसान, अतिक्रमण और रूपांतरण से खतरा है। रिपोर्ट ने प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों की संरक्षण संभावनाओं में अपने नए दृष्टिकोण में "महत्वपूर्ण-चिंता" श्रेणी में पहाड़ियों को भी शामिल किया है जर्मनी में बॉन में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ प्रकृति (आईयूसीएन) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी घाट क्षेत्र में मानव आबादी से दबाव दुनिया भर के कई संरक्षित क्षेत्रों से अधिक है आईयूसीएन वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक 2 नामक रिपोर्ट, जो सभी 241 प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों की संरक्षण की संभावनाओं में पहली बार बदलाव का आकलन करती है, चेतावनी देते हैं कि जलवायु परिवर्तन शायद दबाव में पहले से ही एक प्रणाली को बढ़ाएगा, और बड़े पैमाने पर बड़े- मानसूनीय प्रक्रियाएं जो पश्चिमी घाट को प्रभावित करती हैं इस क्षेत्र की उष्णकटिबंधीय जलवायु को मॉडरेट करते हुए, साइट ग्रह पर मानसून प्रणाली के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक प्रस्तुत कर

कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा मशीन लर्निंग (Artificial Intelligence & Machine Learning)

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा मशीन लर्निंग (Artificial Intelligence & Machine Learning) वर्ष 2018-19 का अंतरिम बजट पेश करते समय केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) का भी उल्लेख किया। क्या है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस? 1955 में सबसे पहले जॉन मैकार्थी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस शब्द का इस्तेमाल किया था, इसीलिये इन्हें फादर ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस भी कहा जाता है। वैसे देखा जाए तो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की संकल्‍पना बहुत पुरानी है। ग्रीक मिथकों में 'मैकेनिकल मैन' की अवधारणा से संबंधित कहानियाँ मिलती हैं यानी एक ऐसा व्‍यक्ति जो हमारे किसी व्‍यवहार की नकल करता है। आज मनुष्य अपनी बुद्धि की मदद से मशीनों को भी बुद्धिमान बना रहा है और मशीनों को बुद्धिमान बनाने को ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का नाम दिया गया है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सीधा और सरल अर्थ है बनावटी या कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौदि्धक क्षमता। जब कोई मशीन या उपकरण परिस्थितियों के अनुकूल सीखकर समस्याओं को हल करता है तो

World Wetland day आर्द्रभूमि दिवस

पूरी दुनिया में 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetland Day) के रूप में मनाया गया। गौरतलब है कि आर्द्रभूमि दिवस का आयोजन लोगों और हमारे ग्रह के लिये आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये किया जाता है। इसी दिन वर्ष 1971 में ईरान के शहर रामसर में कैस्पियन सागर के तट पर आर्द्रभूमि पर एक अभिसमय (Convention on Wetlands) को अपनाया गया था। विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 2 फरवरी, 1997 को रामसर सम्मलेन के 16 वर्ष पूरे होने पर मनाया गया था। वर्ष 2019 के लिये विश्व आर्द्रभूमि दिवस की थीम ‘आर्द्रभूमि और जलवायु परिवर्तन’ (Wetlands and Climate Change) थी। आर्द्रभूमि/वेटलैंड्स पर रामसर अभिसमय/कन्वेंशन की स्थायी समिति द्वारा अगले दो वर्षों 2020 और 2021 के लिये स्वीकृत की गई थीम्स हैं 1.2020-आर्द्रभूमि और जैव-विविधता (Wetlands and Biodiversity) 2.2021- आर्द्रभूमि और जल (Wetlands and Water) पृथ्वी पर जीवों के विकास की एक लंबी कहानी है इस कहानी का सार यह है कि धरती पर सिर्फ हमारा ही अधिकार नहीं है अपितु इसके विभिन्न भागों में विद्यमान करोड़ों प्र

विभिन्न आयामों पर वैश्विक कूटनीति

   जैसे ही दुनिया 2019 में प्रवेश करती है ,  वैश्विक दृष्टिकोण दुनिया में बदलते राजनयिक संदर्भों के मोर्चे पर उदासीन दिखता है। इन तीव्र परिवर्तनों के बीच, भारत इस वर्ष के आम चुनाव की तैयारी करता है, और सभी संकेत 2019 के एक कठिन वर्ष होने की ओर इशारा करते हैं। क्या इससे चुनाव परिणाम पर सीधा असर पड़ेगा, अनिश्चित है, लेकिन देश को अप्रत्याशित घटनाक्रम के प्रति सचेत रहने की जरूरत है। देश पहले से ही एक कठिन बाहरी और आंतरिक स्थिति का सामना कर रहा है और राजनयिक मोर्चे पर अधिक प्रवीणता दिखाने की भी जरूरत है। ग्लोबल डिसऑर्डर दुनिया भर में अनस्टेडी डेवलेपमेंट्स का एक प्रमुख आधार बन गया है।  राष्ट्र आज दुनिया भर में क्रॉस-उद्देश्यों पर काम कर रहे हैं।  एक वैश्विक नेतृत्व वैक्यूम अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को नियंत्रित करने वाले नियमों के बारे में अराजकता के लिए अग्रणी है। उदाहरण के लिए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कथनी और करनी विशेष रूप से चीन और रूस से मज़बूत जवाबी कार्रवाई को भड़का रही है। श्री ट्रम्प ने रूस के साथ एक प्रमुख हथियार नियंत्रण संधि से बाहर निकलने की धमकी दी है। रूस मजबूत म

अंटार्कटिक ग्लेशियर में बड़ा छिद्र

हाल ही में नासा के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक ग्लेशियर (Antarctic Glacier) में लगभग 300 मीटर लंबे विशाल विवर/ छिद्र की खोज की है, जो पश्चिमी अंटार्कटिका में थवाइट्स ग्लेशियर (Thwaites Glacier) के तल पर बढ़ रहा है। हाल ही में नासा के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक ग्लेशियर (Antarctic Glacier) में लगभग 300 मीटर लंबे विशाल विवर/ छिद्र की खोज की है, जो पश्चिमी अंटार्कटिका में थवाइट्स ग्लेशियर (Thwaites Glacier) के तल पर बढ़ रहा है। थवाइट्स ग्लेशियर के तल पर बढ़ रहा विशाल छिद्र बर्फ की चादर के तेज़ी से क्षय और जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक समुद्री स्तर में वृद्धि का संकेत देता है‘जर्नल साइंस एडवांस’ पत्रिका अंटार्कटिक ग्लेशियरों के पिघलने की प्रक्रिया के उपरांत समुद्र के बढ़ते स्तर का विस्तृत अवलोकन करती है। नासा के शोधकर्त्ताओं के अनुसार थवाइट्स ग्लेशियर के तल में उपस्थित बर्फ और आधारशैल के बीच कुछ अंतराल पाया गया है, जहां से समुद्र का पानी बह सकता है और ग्लेशियर को पिघला सकता है। हाल में पाए गए छिद्र के आकार और विस्फोटक में वृद्धि दर चिंताजनक है। यह काफी बड़ा है जिसमें 14 बिलियन टन
विज़न डॉक्यूमेंट 2030 के 10 खास आयाम 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था  और सहज-सुखद जीवन के लिये भौतिक तथा सामाजिक अवसंरचना का निर्माण करना।    ऐसे  डिजिटल भारत का निर्माण  करना जहाँ युवा वर्ग डिजिटल भारत के सृजन में व्‍यापक स्‍तर पर स्टार्ट-अप और इको-सिस्टम में लाखों रोजगारों का सृजन करते हुए इसका नेतृत्व करेगा।    भारत को  प्रदूषण मुक्त राष्ट्र  बनाने के लिये इलेक्ट्रिकल वाहनों और नवीकरण ऊर्जा पर विशेष ध्‍यान देना।    आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके ग्रामीण औद्योगीकरण के विस्तार के माध्‍यम से बड़े पैमाने पर  रोजगारों का सृजन करना।    सभी भारतीयों के लिये सुरक्षित  पेयजल  के साथ स्वच्छ नदियों और लघु सिंचाई तकनीकों के माध्‍यम से  सिंचाई  में जल का कुशल उपयोग करना।    सागरमाला कार्यक्रम  के तहत किये जा रहे प्रयासों में तेजी लाने के साथ भारत के तटीय और समुद्री मार्गों के माध्‍यम से देश के विकास को मज़बूती देना।    भारत दुनिया के उपग्रहों को छोड़ने का ‘लॉन्च पैड' बन चुका है और  अंतरिक्ष कार्यक्रम -गगनयान तथा 2022 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य

कल्पना चावला की जीवनी

कल्‍पना चावला अंतरिक्ष यात्री राष्ट्रीयता संयुक्त राज्य अमरीका भारत स्थिति दिवंगत जन्म 17 मार्च 1962 करनाल, हरियाणा, भारत मृत्यु 1 फ़रवरी 2003 (आयु 41 वर्ष) टेक्सास के ऊपर पिछ्ला व्यवसाय शोध वैज्यानिक अंतरिक्ष में बीता समय 31दि 14घं 54 मि चयन 1994 नासा समूह मिशन एसटीएस-८७, एसटीएस-१०७ मिशन उपलब्धियाँ    Chawla  – कल्पना चावला पहली भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अन्तरिक्ष में जाने वाली  प्रथम भारतीय महिला थी। 1997 में वह अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और 2003 में कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गये सात यात्रियों के दल में से एक थी। कल्पना चावला प्रारंभिक जीवन – Kalpana Chawla In Hindi पूरा नाम     –  कल्पना जीन पियरे हैरिसन (विवाहपूर्व – कल्पना बनारसी लाल चावला) जन्म         –  17 मार्च 1962 जन्मस्थान  –   करनाल, पंजाब, (जो अभी हरयाणा, भारत में है) पिता          –   बनारसी लाल चावला माता         –  संज्योथी  चावला विवाह        –   जीन पियरे हैरिसन (  Kalpana Chawla Husband  ) भारत की बेटी – कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को करनाल में हुआ जो अभी ह