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तमिलनाडु की सर्वोच्च न्यायालय से अपील:
- यह मुद्दा कर्नाटक द्वारा पहले से व्यक्त सहमति के अनुसार जल की मात्रा छोड़ने से इनकार करने से उत्पन्न हुआ।
- तमिलनाडु निर्धारित 15 दिन की अवधि के लिये 10,000 क्यूसेक जल छोड़ने का समर्थन करता है। दूसरी ओर, कर्नाटक ने समान 15 दिन की समय-सीमा के लिये 8,000 क्यूसेक जल कम करने का सुझाव दिया है।
- यह मुद्दा कर्नाटक द्वारा पहले से व्यक्त सहमति के अनुसार जल की मात्रा छोड़ने से इनकार करने से उत्पन्न हुआ।
- कर्नाटक का स्पष्टीकरण:
- कर्नाटक कावेरी जलग्रहण क्षेत्र में कम वर्षा के कारण कम प्रवाह का हवाला देता है, जिसमें उद्गम बिंदु कोडागु भी शामिल है।
- कर्नाटक ने जून से अगस्त तक कोडागु में 44% वर्षा की कमी को बात कही है।
- कर्नाटक ने तमिलनाडु की संकट-साझाकरण फार्मूले की मांग को खारिज कर दिया।
- कर्नाटक कावेरी जलग्रहण क्षेत्र में कम वर्षा के कारण कम प्रवाह का हवाला देता है, जिसमें उद्गम बिंदु कोडागु भी शामिल है।
- आशय:
- तमिलनाडु के किसान कर्नाटक की प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रहे हैं, क्योंकि मेट्टूर जलाशय में केवल 20 TMC जल एकत्रित है, जो दस दिनों तक रहता है।
- इस जटिल विवाद को सुलझाने में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला अहम है।
- न्यायसंगत जल प्रबंधन और संघर्ष समाधान के लिये सहयोगात्मक समाधान महत्त्वपूर्ण है।
कावेरी जल विवाद:
- एक सावधानीपूर्वक तैयार की गई मासिक अनुसूची कावेरी बेसिन के दो तटवर्ती राज्यों कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच जल के वितरण को नियंत्रित करती है।
- कर्नाटक के लिये "सामान्य" जल वर्ष के दौरान जून से मई तक तमिलनाडु को 177.25 हज़ार मिलियन क्यूबिक फीट जल साझा करना अनिवार्य है।
- इस वार्षिक कोटा में जून से सितंबर तक मानसून महीनों के दौरान आवंटित 123.14 हज़ार मिलियन क्यूबिक फीट जल शामिल है।
- मौजूदा दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में अक्सर जल विवाद उत्पन्न होता है, विशेषकर जब बारिश उम्मीद से कम होती है।
कावेरी नदी विवाद :
- कावेरी नदी:
- इसे तमिल में 'पोन्नी' कहा जाता है और यह दक्षिण भारत की एक पवित्र नदी है।
- यह दक्षिण-पश्चिमी कर्नाटक राज्य के पश्चिमी घाट की ब्रह्मगिरि पहाड़ी से निकलती है, कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्यों से होकर दक्षिण-पूर्व की ओर बहते हुए बड़े झरनों के रूप में पूर्वी घाट से उतरकर पुद्दुचेरी के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- बाएँ तट की सहायक नदियाँ: अर्कावती, हेमावती, शिमसा और हरंगी।
- दाहिने किनारे की सहायक नदियाँ: लक्ष्मणतीर्थ, सुवर्णवती, नोयिल, भवानी, काबिनी और अमरावती।
- विवाद:
- चूँकि कावेरी नदी कर्नाटक से निकलती है, केरल से आने वाली प्रमुख सहायक नदियों के साथ तमिलनाडु से होकर बहती है तथा पुद्दुचेरी के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में गिरती है, इसलिये इस विवाद में 3 राज्य और एक केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं।
- यह विवाद 150 वर्ष पुरान है, यह वर्ष 1892 और 1924 में तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी तथा मैसूर के बीच मध्यस्थता के दो समझौतों से संबंधित है।
- इसमें निहित है कि किसी भी निर्माण परियोजना, जैसे कावेरी नदी पर जलाशय का निर्माण, के लिये ऊपरी तटवर्ती राज्य को निचले तटवर्ती राज्य की अनुमति लेना अनिवार्य है।
- कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद 1974 में शुरू हुआ जब कर्नाटक ने तमिलनाडु की सहमति के बिना पानी मोड़ना शुरू कर दिया।
- कई वर्षों के बाद इस मुद्दे को हल करने के लिये वर्ष 1990 में कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण की स्थापना की गई। 17 वर्षों के बाद CWDT ने अंततः वर्ष 2007 में एक अंतिम निर्णय जारी किया जिसमें कावेरी जल को चार तटवर्ती राज्यों के बीच विभाजित करने के बारे में बताया गया। इसमें निर्णय लिया गया कि संकट के वर्षों में जल का बँटवारा आनुपातिक आधार पर किया जाएगा।
- CWDT ने फरवरी 2007 में अपना अंतिम निर्णय जारी किया, जिसमें सामान्य वर्ष में 740 TMC की कुल उपलब्धता पर विचार करते हुए कावेरी बेसिन में चार राज्यों के मध्य जल आवंटन निर्दिष्ट किया गया था।
- चार राज्यों के मध्य जल का आवंटन इस प्रकार है: तमिलनाडु- 404.25 TMC, कर्नाटक- 284.75 TMC, केरल- 30 TMC, और पुडुचेरी- 7 TMC।
- वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने कावेरी को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया, साथ ही बड़े पैमाने पर CWDT द्वारा निर्धारित जल-बँटवारे की व्यवस्था को बरकरार रखा।
- इसने केंद्र को कावेरी प्रबंधन योजना को अधिसूचित करने का भी निर्देश दिया।
- केंद्र सरकार ने जून 2018 में और 'कावेरी जल विनियमन समिति' का गठन करते हुए 'कावेरी जल प्रबंधन योजना' को अधिसूचित किया।
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